Saturday, June 9, 2012

  • कोई खुशियों की चाह में रोये, कोई दुःख की पनाह से रोये। अजीब सिलसिला हे इश्क और मोहब्बत का, कोई वफ़ा के लिए रोये, कोई वफ़ा कर के रोये।


  • मेरे पैरों की मुसाफत के मुकद्दर में नहीं। जो रास्ता तेरे घर की तरफ जाता है।

  • नहीं मालूम कब से है ताल्लुक तुमसे ये अपना, तुम्हारा अक्स था दिल मैं तुम्हारे नाम से पहले।


  • जो काँप उठता था मुझे गंवाने के खौफ से, वो छोड़ गया मुझे ज़माने के खौफ से। दुनिया मैं कुछ ख़ास नहीं हैं हम, जी रहे हैं बस मर जाने के खौफ से। हमारी मिसाल उन फूलों सी है, जो खिले ही नहीं मुरझाने के खौफ से।

  • उस के जुदा होने से कुछ भी नहीं बदला। बस पहले जहाँ दिल होता था अब वहां दर्द होता है।

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